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रहना मीत जहाँ, खुश रहना

डॉ. कामता नाथ सिंह
बेवल, रायबरेली

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मजबूरी से बँधा हुआ
मैं बस इतना ही
कह सकता हूँ,

मेरी याद सँजोये मन में,
रहना मीत जहाँ,
खुश रहना।।

कहना तो आसान बहुत
पर क्या ऐसा कुछ
हो पायेगा,
जब कोई मुसकान
चिकोटी काटे,
कोई सो पायेगा;

पावन अधरों के
संगमतट पर जो किया
आचमन हमने,

मीता उसकी कसम तुम्हें है,
रहना जहाँ,
वहाँ खुश रहना!!

मेरी याद सँजोये मन में
रहना मीत जहाँ,
खुश रहना!!

माना इस समाज ने बाँधे
अनगिन
सम्बन्धों के बन्धन,

जिनमें बँध कर,
हृदय तड़पता,
उन्मन रहता,
करता क्रन्दन;

पर सुधियों के चन्दन से
मन के नन्दन वन को
महकाये,

हँसते-मुसकाते ओ मीता
रहना जहाँ,
वहाँ खुश रहना!!

मेरी याद सँजोये मन में
रहना मीत जहाँ,
खुश रहना!!

साथ तुम्हारे
बीता हर पल,
मेरे जीवन की थाती है,

शेष बचे जो,ऐसे जैसे
नेह बिना
जलती बाती है;

लोकलाज से
बँधे हुये तुम भी
ऐसा ही कुछ बोलोगे,

मन में सौ तूफान दबाये
रहना मीत जहाँ,
खुश रहना!!

मेरी याद सँजोये मन में
रहना मीत जहाँ,
खुश रहना!!

परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह
पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह
निवासी : बेवल, रायबरेली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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