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बिछुड़ना

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रचयिता : कुमुद दुबे

खडे़-खडे़ निहारती रही
सोचती रही,
कितना दुर्बल था वह
जब मेरे हाथों में सौंपा था,
गर्मी सर्दी बरसात
हर संकट से बचाकर
उसे पोषित किया,
दिन प्रतिदिन बढ़ते देखती रही
आनन्दित होती रही,
आज भी
मैं उस दिन को
भूल नही पायी हूँ
जिस दिन उसे छोड़कर
जाने को मजबूर हुयी थी,
दुखी हुयी थी
दूसरों को सौंप कर उसे।
अरसा बीत गया
आज अचानक सामने से गुजरी,
चुपके से निहारते
न जाने कब उसके
समीप पहुंच गई,
फलों से लदा
वह कटहल का पेड़
नतमस्तक हो
जैसे कह रहा हो
जो देकर ना ले
वही तो प्यार है
बाकी सब व्यापार है
फिर मैं नम आँखे लिये
अनमने मन से
चल पड़ी अपने
गन्तव्य को।
लेखिका परिचय :-  कुमुद के.सी.दुबे
जन्म- ९ अगस्त १९५८ – जबलपुर
शिक्षा- स्नातक
सम्प्रति एवं परिचय- वाणिज्यिककर विभाग से ३१ अगस्त २०१८ को स्वैच्छिक सेवानिवृत। विभिन्न सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविता एवं लघुकथा का प्रकाशन। कहानी लेखन मे भी रुची।
इन्दौर से प्रकाशित श्री श्रीगौड नवचेतना संवाद पत्रिका में पाकशास्त्र (रेसिपी) के स्थायी कालम की लेखिका।
विदेश प्रवास- अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस (सन् २०१० से अभी तक)।

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