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गौरैया

मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.

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क्या फिर इस प्रदूषण में
मखमल सी हरियाली फैलेगी?
फिर इन सीमेंट के जंगलों में
कोई गौरैया चेहकेगी ?

क्या फिर इस धरा पर
बसंत की खुशबू महकेगी?
क्या फिर धरा हरी भरी अदाओं से,
कवियों की लेखनी बन पाएगी?
या धीरे धीरे ये लेखन भी
कंक्रीट के जंगल पर निर्भर होगा?

क्या आम की अमराइयों
की महक से कोयल कूकेगी?
फिर असली गुलाबों की महक महकेगी?
या कभी जूही की कलियां भी
मनमोहक महक मेहकाएंगी।

बचा लो इस धरा को प्रदूषण के असर से
धरा फिर फूलों की बहार बन जाएगी।
धरती में फिर छा जाएगी हरियाली।
गौरैया फिर अपने सपनों की उड़ान भरेगी।

परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य 


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