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रचयिता : शिवम यादव ”आशा”
छिड़ गई बहस अब बंद नहीं होने वाली।
सेना भारत की नहीं धैर्य खोने वाली।
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अब पहले जैसी कोई भूल नहीं होगी।
कोई भी रेखा अब प्रतिकूल नहीं होगी।
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यह धरा कभी भी रिक्त हुयी न वीरों से।
हमने हरदम युद्ध लड़े तदबीरों से।
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कश्मीर हमारा है हम छोड़ नहीं सकते।
जो व्यूह रचे हैं क्या हम तोड़ नहीं सकते।
सेना भारत की नहीं धैर्य खोने वाली।
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अब पहले जैसी कोई भूल नहीं होगी।
कोई भी रेखा अब प्रतिकूल नहीं होगी।
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यह धरा कभी भी रिक्त हुयी न वीरों से।
हमने हरदम युद्ध लड़े तदबीरों से।
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कश्मीर हमारा है हम छोड़ नहीं सकते।
जो व्यूह रचे हैं क्या हम तोड़ नहीं सकते।
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लेखक परिचय :- नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “
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