Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

डमरू के स्वर

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

********************

डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।
कर फिर से तू नव नर्तन
संघार करो तू दानवता की।
फिर से तू रच नव सृस्टि को।
मानवता की धर्म ध्वज को
अडिग करो हे नागेश्वर।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
पावस फुहार बन फिर बरसो।
मुरझाई इस बसुधा में
फिर से हरियाली आयी।
सुखी नदिया ताल तलैया
नव उमंग की लहर हिलोरे।
ले रही सब अंगराई
रूखी बसुधा फिर नवसिंगार कर
नव दुल्हन बन कर मुस्काई ।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।
आज अडिग यह भारत भू हो
फिर सरहद पर है संकट आई ।
खोलो त्रिनेत्र है प्रलयंकर
भस्म करो तुम सत्रु दल को।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।

.

परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *