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डमरू के स्वर

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।
कर फिर से तू नव नर्तन
संघार करो तू दानवता की।
फिर से तू रच नव सृस्टि को।
मानवता की धर्म ध्वज को
अडिग करो हे नागेश्वर।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
पावस फुहार बन फिर बरसो।
मुरझाई इस बसुधा में
फिर से हरियाली आयी।
सुखी नदिया ताल तलैया
नव उमंग की लहर हिलोरे।
ले रही सब अंगराई
रूखी बसुधा फिर नवसिंगार कर
नव दुल्हन बन कर मुस्काई ।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।
आज अडिग यह भारत भू हो
फिर सरहद पर है संकट आई ।
खोलो त्रिनेत्र है प्रलयंकर
भस्म करो तुम सत्रु दल को।
डमरू के स्वर बूंदो में भर
उतरो नभ से हे प्रलयंकर।

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परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान


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