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भारत के पूत

धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)

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बहुत सो चुका
मत लेटा रह
आँखे मूंदे
भीतर बाहर से
ललकार रहा शत्रु तुझे
मृत्यु खड़ी है द्वार पर।

मृत्यु का तांडव
होना जब निश्चित है
कायर बन मृत्यु का
वरण कर
माँ की कोख
क्यो करना चाहता है
कलंकित
चल शत्रु पर वार कर।

उठ खड़ा हो
ले शमशीर हाथों में
दे कर अपना लहू
कर रक्षा मातृभूमि की
गायेगी तेरी शौर्य
गाथाएँ
जनता हिन्दुस्थान की
लिख नया इतिहास अरिहंत
अरि का अंत कर।

लड़ ऐसा
जैसे लड़े थे
वीर गोविंद, शिवा और प्रताप
गीदड़ की मौत मरने से
अच्छा है,
लड़ मरे केसरी की भांति
रणभूमि पर।

तू अकेला नही
सम्पूर्ण राष्ट्र तेरे साथ है
याद कर अपने इतिहास को
इतिहास कायरों का नही
लिखा जाता है,
लिखा जाता है
विरो का, रणबांकुरों का
लाल बाल और पाल का
होती है माताएं धन्य
अपने लालो पर।

तू भूल रहा
लड़ी थी तेरी माँ तुझे
अपनी पीठ पर बांधे
झांसी में,
रोक न पाए थे, शत्रु के परकोटे
उसे रण में जाने पर

बैठ गई थी
तेरी जीवन संगिनी
हँसते हुए जलती चिता पर
आंच न आने दी उसने
अपनी अस्मिता पर
आज भी लिखी है
गाथाएँ शौर्य की
मेवाड़ की हर दीवार पर।

भूल गया तू, रिपुदमन
दे दिया था काट के अपना
सिर तेरी हाडी राणी ने
तुझे निज प्रेम के
मोह पाश में पड़ने पर।
दे गई संदेश तुझे
करो न्यौछावर प्राण
मातृभूमि पर।

तुझे बचाने
दिया अपने पुत्र का
बलिदान
माँ पन्ना धाय ने
उदय रहे देश का
मान अभिमान
वसुंधरा की छाती पर।

चुन दिया गया तेरे
जोरावर, फतेह जैसे
मासूम बेटों को जिंदा
दीवारों में
खाई थी तूने रोटी घास की
राष्ट्र के सम्मान में
जंगल जंगल भटका तू
देश के स्वाभिमान में
दुश्मन के घर मे घुस
किया तूने बघनखे से वार
उसकी छाती पर।

तू कैसे भूल गया
अपना गौरवशाली
इतिहास।
खोखले हो रहे प्रजातंत्र ने
क्या तुझे कायर बना दिया है
तू सोया पड़ा है
सुख सुविधाओं की
वेदी पर।

उठ, खड़ा हो
तू रक्त है विरो का
रणबांकुरों का
अपने चेतक की चाल
दिखा दे
अपनी भवानी की धार
दिखा दे,
तू रंग ले आज बसंती चोला
निकल पड़ रणभूमि में
लगा कर रक्त का रोला
करा दे मातृभूमि को स्नान
बहा दे रक्त की धारा धरा पर

परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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