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कोई तुमसे सीखे

रमेशचंद्र शर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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प्यार जताना कोई तुमसे सीखे !
बात बनाना कोई तुमसे सीखे !

भूली बिसरी बातें याद दिलाकर
कितना सताना कोई तुमसे सीखे !

आंखों आंखों में बतिया अक्सर
राज उठाना कोई तुमसे सीखे !

अपना बनकर बेगाना बन जाना
झूठा याराना कोई तुमसे सीखे !

कठपुतली बना मध्यांतर पहले
परदा गिराना कोई तुमसे सीखे !

कभी राग दरबारी तो मेघमल्हार
साज सजाना कोई तुमसे सीखे !

सीढ़ियों सा इस्तेमाल करके फिर
आंखें बताना कोई तुमसे सीखे !

मासूमियत भरी कातिल अदाओं से
पलकें झुकाना कोई तुमसे सीखे !

भरे बाजार बदनाम करके हंसकर
नजरें चुराना कोई तुमसे सीखे !

परिचय : रमेशचंद्र शर्मा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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