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रचयिता : रीतु देवी
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वतन की मिट्टी
सौंधी-सौंधी खुशबू बिखरती वतन की मिट्टी,
पैगाम लायी है प्रदेशों से सपूतों की चिट्ठी।
पावन मिट्टी से वीर सपूत करके चंदन,
दुर्ग तोड़ रिपुओं के गृह लाते क्रंदन।
भारत माँ को मुक्त किया अंग्रेजों के पिंजरे से
वीरगति हुए करके तिलक इस मिट्टी से
कलकल बहती इस पर मां गंगा की धार है,
बेइंतहा वतन मिट्टी से भारतवासियों को प्यार है।
लहलहाते हैं यहाँ खुशियों की फसलें,
खिलते हैं पावन मिट्टी कीचड़ में अनोखे कमलेंं ।
वतन मिट्टी को करते हैं शत शत नमन,
सारे जहां से अनुपम है हमारा चमन।
लेखीका परिचय :-
नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार
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