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तो क्या शान्त हो जायेगी?

निधि गुप्ता (निधि भारतीय)
बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)
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कर दुर्योधन कर,
अपमान कुलवधू का….
तिरस्कार कुलगुरु का….
तो क्या शान्त हो जायेगी?
मन में धधकती ,
काम की ज्वाला,

ले दुर्योधन ले,
हस्तिनापुर भी ले…
इन्द्रप्रस्थ भी ले……
तो क्या शान्त हो जायेगी?
मन में धधकती,
क्रोध की ज्वाला,

ना दे दुर्योधन ना दे,
पांच गांव भी ना दे….
सुईनोंक बराबर धरा
भी ना दे….
तो क्या शान्त हो जायेगी?
मन में धधकती,
लोभ की ज्वाला,

बना दुर्योधन बना,
श्री कृष्ण को बन्दी….
पांडवों को द्वन्दी……
तोक्या शान्त हो जायेगी?
मन में धधकती,
अहं की ज्वाला,

बांध दुर्योधन बांध,
पट्टी अंधेपन की नहीं….
अन्याय व छल-कपट की…
तो क्या शान्त हो जायेगी?
मन में धधकती,
मोह की ज्वाला,

सोच दुर्योधन सोच,
मिला क्या?जलाकर ज्वाला
काम,क्रोध,मद,लोभ,अहंकी
निर्दोषों का नाश……
समूल वंश विनाश……

काश….
काश……..,
जलाया होता तुमने,
इक दिया प्रेम का…..

लगाई होती उसमें,
इक बाती संयम की…..
भरा होता तेल,
विवेकपूर्ण न्याय का…..

तो जलती ज्वाला,
चहुंओर शान्ति की,
असीम शांति की…..
रोशनी से जिसकी होता,
जग में मानवता का उजियारा…..
चमकता नाम वर्षोंवर्ष,
तुम बन जाते सितारा…..
तुम बन जाते सितारा…..

परिचय : निधि गुप्ता (निधि भारतीय)
निवासी : बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश
शिक्षा : बी.एससी. (गोल्ड मेडलिस्ट), एम.सी.ए., यूजीसी नेट, स्लेट
आपके बारे में : रचनाकार निधि गुप्ता आई.पी. कालेज, बुलन्दशहर में कम्प्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, हिंदी भाषा में विशेष रूचि रखने के कारण शौक से लेखन में सक्रिय हैं और निधि भारतीय के नाम से लिखती हैं। आपकी रचनाएं आपके द्वारा ‌बनाये गये यू-ट्यूब चैनल (संवेदनाएं निधि भारतीय) पर प्रकाशित होती हैं।
आप हिंदी भाषा को अपनी आत्मा की भाषा मानती हैं जो संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने हेतु सर्वोत्तम भाषा ‌है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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