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जब निर्णय लेना मुस्किल हो

माधवी मिश्रा (वली)
लखनऊ

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जब जीवन के दोराहों पर,
असमंजस के चौराहों पर
कोई निर्णय लेना मुस्किल हो,
और साथ मे अंधी मंजिल हो
जब मन मस्तक मे द्वंद छिड़े,
हृदय विवेक लड़े झगड़े
फिर किसको कैसे समझाऊँ
किस ओर कहां मैं झुक जाऊँ
यह मूल समस्या जीवन की,
अविराम रही उलझी उलझी
पथ जाने कितने मोड़ मुड़े पर
दिल दिमाग ये नही जुड़े
सालीन विवेकी राहो मे
काँटो के निर्मम तार के मिले
हृदय गवाही दिया जिसे
उसमे रखे औजार मिले
ऐसी दुविधा ही बनी रही
जब भी जितने भी कदम चले
अब तक कोई ना हुआ अपना
सबने मिलकर विस्वास छले।।

परिचय :- माधवी मिश्रा (वली)
जन्म : ०२ मार्च
पिता : चन्द्रशेखर मिश्रा
पति : संजीव वली
निवासी : लखनऊ
शिक्षा : एम.ए, बीएड, एलएल बी, पीजी डी एलएल, पीजीडीएच आर, एमबीए,।
प्रकाशन : तीन पुस्तकें प्रकाशित अनेक साझा संकलन, काव्य, लेख, कहानी विधा पत्र पत्रिकाओं रेडियो दूरदर्शन पर-प्रकाशन, प्रसारण,अनेक सामाजिक संस्थाओं व संगठनो मे सह भागिता। समाज सेवा
सम्प्रति : वर्तमान मे अंग्रेजी माडल स्कूल की प्रधान शिक्षिका।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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