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सोने का पिंजरा

राम शर्मा “परिंदा”
मनावर (धार)

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घर से बाहर अभी पाँव मत रख
साथ मित्रों का जमाव मत रख

गर पार करना चाहते हो दरिया
तो फिर छेदवाली नाव मत रख

पत्थर में देखनी हो प्रभू प्रतिमा
तो किसी संग भेदभाव मत रख

तन के जैसे ही मन भी साफ रख
किसी भेद का भी दुराव मत रख

चलता रहे दुखों का आना-जाना
किसी भी तरह से तनाव मत रख

ज्ञान से कर ले इस मन पर काबू
अभक्ष्य चीजों का चाव मत रख

भले ही सोने का बना है ‘परिंदा’
पिंजरे से इतना लगाव मत रख

परिचय :- राम शर्मा “परिंदा” (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व. जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम.कॉम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १- परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-साथ आप मंचीय कवि सम्मेलन में संचालन भी करते हैं। आपके साहित्य चुनने का कारण – भावाभिव्यक्ति का माध्यम है अन्य अभिरुचि – अध्यात्मिक एवं ज्योतिष संबंधी शो …

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