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आसमान के तारें

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कुमार संदीप
ग्राम सिमरा, मुजफ्फरपुर (बिहार)

आसमान के तारें
हाँ जब देखता हूँ आसमां में
टिमटिमाते हुये तारों को,
ऐसा लगता है कि ये तारें
सपरिवार स्नेह और प्रेम से
रहते हैं मिलजुलकर एक साथ।
आसमान के तारें
हाँ जब देखता हूँ आसमां में,
जुगनू की तरह तारों को चमकते
ऐसा लगता है कि ये तारें
एक साथ हँसते हैं मुस्कुराते हैं,
तारों की चमक आँखों को देती है सुकून।
आसमान के तारें
हाँ जब देखता हूँ आसमां में,
तारों को कुछ समय के लिए ओझल होते
ऐसा लगता है कि ये तारें
भी क्रंदन करते हैं दीन दुखी के दुःख देखकर,
ये तारें देखते हैं आसमां से इंसानों के कुकर्मों को।
आसमान के तारें
हाँ जब देखता हूँ आसमां में
असंख्य तारें,
ऐसा लगता है कि ये तारें
सभी एक जैसे ही हैं,
इन तारों में इंसानों की तरह
न तो रंग का भेदभाव है, न ही धर्म, जाती का बंधन।
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लेखक परिचय :- 
नाम : कुमार संदीप
पिता : स्वर्गीय ब्रज किशोर मिश्र
माता : श्रीमती रीणा देवी
जन्म तिथि : 15-08-2000
भाई : श्री प्रवीण कुमार व श्री नवीण कुमार
निवासी : ग्राम सिमरा, जिला मुजफ्फरपुर
शिक्षा : स्नातक प्रथम वर्ष(वाणिज्य संकाय-अध्ययनरत)
लेखन विधा : कविता,कहानी, मोटिवेशनल कोट्स
सम्मान : ◆साहित्य संगम संस्थान(दिल्ली) द्वारा श्रवण कुमार सम्मान
                ◆साहित्य संगम संस्थान(दिल्ली) द्वारा साहित्य सारथी सम्मान
                ◆साहित्य संगम संस्थान(दिल्ली) द्वारा जय हिंद सम्मान
                ◆राष्ट्रीय शिवशक्ति कला उन्नयन मंच द्वारा दिनकर सम्मान
प्रकाशित पुस्तक : पितृत्व(साझा संग्रह)
अभिरुचि : पुराने संगीत सुनना

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