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सितम

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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सितम
इश्क को मेरे,
आजमाते क्यों हो,
दर्द को मेरे,
बढ़ाते क्यों हो,
ख्वाबों में मेरे बार-बार,
आते क्यों हो,
बीते वक्त की याद,
दिलाते क्यों हो,
इश्क को मेरे आजमा ते क्यों हो……

इतना सितम अब,
ढाते क्यों हो,
सब कुछ तो लूटा मेरा,
अब मेरी बर्बादियों पर,
जश्न मनाते क्यों हो,
इश्क को मेरे आजमाते क्यों हो….

दर्द भरी जिंदगी,
जीने दे सुकून से,
हर आहट पर,
अब अपने आने का,
एहसास कराते क्यों हो,
कर दिया जब,
नजरों से दूर ……बहुत दूर….
तो अपना बनाने की,
खता करते क्यों हो,
इश्क को मेरे आजमाते क्यों हो…..

सर्द रातों में,
ख्वाबों में आकर,
जाते क्यों हो,
बड़ा दम भरते थे,
अपने इश्क का,
अब अपनी मोहब्बत से,
“यकीं मेरा”
मिटाते क्यों हो…..
इश्क को मेरे,
आजमाते क्यों हो,
दर्द को मेरे बढ़ाते क्यों हो।।

 

परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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