Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

किसको दर्पण दिखा रहा हूं

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

********************

कहता हूं नाचीज स्वयं को,
रुतबा कितना जता रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मैं,
किसको दर्पण दिखा रहा हूँ।।

मैं किस खेतकी मूली हूं जो,
अपना भाव बढ़ाया मैंने।
कोल्हू का हूँ बैल फकत मैं,
पका पकाया खाया मैंने।।

क्यों हजार का नोट बना मैं,
भार बदन का बढ़ा रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मैं,
किसको दर्पण दिखा रहा हूँ।।

अपनी मर्जी से ना जन्मा,
नहीं मरण हाथों में मेरे।
क्यों अंगारे उगल रहा हूँ,
हैं अंधियारे मुझको घेरे।।

क्यों घमंड है इतना मुझको,
क्या सूरज का सगा रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मैं,
किसको दर्पण दिखारहा हूँ।।

खुद अपनीतारीफ करूं क्यों,
क्या चरने को अकल गई है।
गंदे कतरे से यह जीवन,
है लोगों क्या बात नई है।।

क्यो आकाश उठाके सिर पे
सबको उल्लू बना रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मैं,
किसको दर्पण दिखा रहा हूँ।।

उंगली पकड़ेबिना चला कब,
कंधों पर ले जाए कोई।
भूख पेट को जबजब लगती,
खाना मुझे खिलाए कोई।।

नाम लिखा दाने -दाने पर,
मैं क्यों दानी कहा रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मै,
किसको दर्पण दिखा रहा हूँ।।

क्यों अभिमान मुझे डसता है,
क्यों “अनंत” छलती है माया।
मैं खाकी हूँ, नाशवान हूँ,
क्योंये अबतक समझनपाया।।

मैं हूँ फकत भीड़ का रेला,
रब की ढपली बजा रहा हूँ।
किस पर करता हूँ घमंड मैं,
किसको दर्पण दिखा रहा हूँ।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
निवासी : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें… 🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *