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शिव आराधना

प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा

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शिव शंकर के श्री चरणों में, अपनी जगह बनाता चल।
भाँग धतूरा बिल्वपत्र सँग, दधि घृत शहद चढ़ाता चल।

पंचाक्षर को नित्य जाप ले, सुधरे यह जीवन सबका।
नित्य आरती महादेव की, नित उनके गुण गाता चल।

भक्ति भाव से नित शंकर का, सुबह शाम गुणगान करो।
भजन हृदय से खुद भी भज कर, जग को संग सुनाता चल।

भक्तों का कल्याण सदा शिव, दुष्टों का संहार करें।
श्रद्धानत होकर मन ही मन में, धूनी नित्य रमाता चल।

कैलाशी का ध्यान धरो नित, त्याग मोह-माया सारी।
सांसारिक सुख डिगा न पायें, दिल से शपथ उठाता चल।

दानी भोले शंकर जैसा, सकल सृष्टि में मिले नहीं।
निर्मल छवि को हृदय बसा कर, शिव की अलख जगाता चल।

आशुतोष सच्चे भक्तों को, देते हैं वरदान सदा।
उपकारी बन सदा भक्ति से, सही राह अपनाता चल।

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परिचय : प्रवीण त्रिपाठी नोएडा


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