Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तीक्ष्ण प्रखर दिनकर

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
********************

सिमरिया के सरोवर में…
प्रस्फुटित एक अद्भुत कमल!
सौम्य तेजस्वी दिनकर!!

मार्तंड सा था भास्वर!
काव्य के दिव्य गगन में…
दिनकर की वाणी प्रखर!!

आजीवन गाते रहे
मानवीय चेतना के
उन्नायक: गायन अमर!

कभी सिंधु गर्जन को ही
दे दी चुनौती और बने
युगधर्म के विकट हुंकार!

रस में डुबो रसवंती
रचा काव्य सरस सुंदर!
उर्वशी का अद्भुत श्रृंगार!!

आमजन के न्याय के हित
रहे ललकारते ही सदा
हारे न कोई जीवन समर।

विद्रोह ओज के कवि तुम
रश्मिरथी कुरुक्षेत्र में
भर उठे प्रचंड हुंकार!

पद्य के साथ गद्य में भी
लिख डाले अध्याय चार!
भारत संस्कृति के सुंदर!!

राष्ट्रीय चेतना जाग्रत…
कर जन-गण के अंतस में…
बने राष्ट्रकवि दिनकर!

रवि सम तेजोदीप्त छवि !
राग के संग आग का कवि !!
विमल यश फैला संसार !!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *