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शर्मसार मानवता

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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यहीं मानवता शर्मसार हो रही।
कहावत कोई मरे कोई मौज करे
की जो चरितार्थ हो रही।
कालाबाजारी चरम पर है।
भ्रष्टाचारी का जतन हर है।
इंसानी खाल में भेड़ियावतार है,
खुले आम कर रहा मौत का व्यापार है।
त्रस्त जनता,सो रही सरकार है।
उसे भी तो केवल अपने वोटों से
सरोकार है।
सुबह न्यूज़ पढ़ी डॉ गिरफ्तार है,
जीवन प्रदत दवा का करते व्यापार है।
जब रक्षक ही बन बैठे भक्षक हैं,
तब कहो क्यों न डूबे गर्त में
संसार है।
कोई पूछे उस व्यापारी से किया
क्या उसने आरक्षित अपनी
सांसो का संसार है।
या ये दुनिया उसकी जागीर
उसी की खिदमत गा र है।
या फिर कर ली उसने अपने
कफ़न में जेब तैयार है।
तभी तो मद में चूर हो कर रहा
यूँ मानवता को शर्मसार है।

परिचय :– रश्मि लता मिश्रा
निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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