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शर्म

श्रीमती आभा बघेल
रायपुर, छत्तीसगढ़

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(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा)

“तुम्हें भोजन का पैकेट चाहिए क्या?” एक आवाज़ आई।
रघु ने आवाज़ की ओर देखा लेकिन कुछ बोला नहीं।
फिर किसी ने पूछा, “भोजन का पैकेट चाहिए क्या तुम्हें?”
रघु ने शर्म भरी आवाज़ में कहा “साहब, चाहिए तो है। चार लोगों का परिवार है मेरा। घर में बच्चे खाने के लिए मेरा रास्ता देख रहे होंगे।”
“तो फिर ये नखरा क्यों?”- किसी दूसरे व्यक्ति ने कहा।
“साहब ! मैं मेहनत करने वाला आदमी हूँ। किसी के सामने हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता।ये तो मेरा बुरा वक्त है जो आज मेरी ये हालत है।” रघु ने उदास स्वर में कहा।
“सब पता है हमें। अपने घर में भले ही ढेर लगा होगा, लेकिन फिर भी यहाँ माँगने आ जाते हैं लोग।” एक व्यंग्य भरी आवाज़ आई।
“मैं उनलोगों में नहीं हूँ साहब!” रघु की आवाज़ थोड़ी तेज़ हो गई थी।
“मुफ़्त का मिल रहा है न इसीलिए इतनी सारी बातें हो रही हैं। ये लो।” भोजन का एक पैकेट रघु की ओर बढ़ाते हुए उसने कहा।
“एक पैकेट से क्या होगा साहब!मेरे घर में तो चार लोग हैं।” रघु बोला।
“जितना भी लेना है ले लो। हमें और लोगों को बाँटने जाना है।” रूखी सी एक आवाज़ आई।
रघु ने पैकेट की ओर देखा। उसे याद आया कि उसकी पत्नी और उसने दो दिनों से कुछ नहीं खाया है। उसके बच्चे कल से भूखे हैं। “छोटी को तो कल से ज्वर भी है। कहीं उसकी तबियत और बिगड़ न जाए।” उसने सोचा और पैकेट लेने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए।
“अरे! कहाँ जा रहे हो भाई। हमारे साथ फोटो तो खिंचवाते जाओ।” इस आवाज़ के साथ ही लोगों की हँसी भी सुनाई दी। रघु मुस्कुराया और सबके साथ फ़ोटो खिंचवाने लगा। उसकी आँखों के सामने उसके परिवार की तस्वीर घूम रही थी। पेट की भूख और ज़रूरत जीत चुकी थी। अब रघु को शर्म नहीं आ रही थी।

परिचय :- श्रीमती आभा बघेल
जन्मतिथि : २३ मई धनबाद:झारखंड
पिता : स्व. श्री जगदीश प्रसाद तिवारी
माता : श्रीमती कमला तिवारी
पति : स्व.श्री शैलेष बघेल
शिक्षा : एम.ए.(हिंदी), एम.ए.(शिक्षा), एम.ए.(मनोविज्ञान -अध्ययनरत)
सम्प्रति : हिंदी शिक्षिका, राजकुमार कॉलेज, रायपुर (छत्तीसगढ़)
निवासी : रायपुर, छत्तीसगढ़

आपके बारे में : राजकुमार कॉलेज, रायपुर में वरिष्ठ हिंदी शिक्षिका के रूप में कार्यरत.. (२४ वर्षो से शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय),
तपस्या सामाजिक सेवा संस्थान की उपाध्यक्ष और एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता ,
आकाशवाणी रायपुर में महिला जागरूकता कार्यक्रमों की वक्ता (विगत ७ वर्षों से),
विगत ९ वर्षों से शिकागो स्थित हिंदी रेडियो में आर जे (रेडियो जॉकी) के रूप में निःशुल्क सेवाएं (उद्देश्य – विदेश में हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार),
वर्तमान में हिंदी रेडियो शिकागो की मैनेजिंग डायरेक्टर और भारत प्रमुख,
सामयिक विषयों और स्तम्भ, कविता लेखन व अन्य लेखन विधाएं
मंच संचालिका और वॉइस ओवर आर्टिस्ट (गत पाँच वर्षों से बिहार में लेज़र शो कार्यक्रम में निरंतर कार्यरत-ऑनलाइन माध्यम से)
विशेष : पुलिस अकादमी चंदखुरी, रायपुर में छत्तीसगढ़ पदस्थ डी.एस.पी., थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर, ए एस आई, हवलदार व अन्य ,लगभग १५० पुलिस कर्मियों की कार्यशाला की आमंत्रित वक्ता विषय- महिलाओं पर हो रहे अपराध
महिला जागरूकता , लैंगिक समानता, शिक्षा एवं अधिकारों की जानकारी
प्रकाशन : उत्कर्ष एक्सप्रेस, मुनादी मीडिया, फोर्थ पोस्ट,रायपुर लाइफ स्टाइल पत्रिका, दक्षिण समाचार प्रतीक्षा, वूमेन एक्सप्रेस, साहित्य लोक तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख, आलेख, कहानी, कविता,लघुकथा, समसामयिक लेख, निबंध व अन्य विधाएं
पुरस्कार : वक्ता मंच – अध्यापन एवं समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान हेतु सम्मान, झरना देवी मानव सेवा संस्थान-मोटिवेशनल स्पीकर एवं कैरियर गाइडेंस हेतु सम्मान, सद्भावना साहित्य संस्थान – सद्भावना नारी शक्ति सम्मान, बुजुर्गों की चौपाल संस्था- एक शाम छत्तीसगढ़ पुलिस के नाम में विशेष सहयोग हेतु सम्मान, सेवा वेलफेयर फाउंडेशन, आशाएं,लायंस क्लब, इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस, ईसरे व टिकरापारा महिला विकास मंच द्वारा मानव समाज एवं दिव्यांगों के लिए किए गए सेवा कार्यों हेतु सम्मान, फनकार व काव्या संस्था द्वारा ओपन माइक कार्यक्रम हेतु सम्मान
छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस अकादमी, रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा प्रदत्त स्मृति चिह्न, वरदान पब्लिक स्कूल रायपुर द्वारा प्रदत्त स्मृति चिह्न, सी आई रायपुर वामा कैपिटल द्वारा नारी संगम महासम्मेलन में सहभागिता एवं समाज में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मान


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