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रचयिता : विजयसिंह चौहान
सेवाराम जी
यथा नाम तथा गुण वाले सेवाराम जी, अपनी सेवा कार्यों के कारण जात-समाज और मोहल्ले में इसी नाम से जाने जाते हैं। उनका मूल नाम तो दशरथ जी है, बड़ा दिल और तन-मन-धन से हर किसी के लिए मदद को हर पल तैयार! शायद इसीलिए लोग प्यार से उन्हें सेवाराम जी पुकारते हैं।
हर दम समाज को नई दिशा दिखाने के पक्षधर सेवाराम जी ने नुक्ता प्रथा, दहेज प्रथा और अब मामेरा प्रथा बंद कराने के लिए हाथ धोकर पीछे पड़े हैं। नई दिशा की ओर, आपकी पहल कल भी देखने को मिली जब इंदौर वाली ब्यान जी भर्ती थी तो उनकी कुशलक्षेम पूछने के लिए सेवाराम जी अपने साथ घर से ५ खंड का टिफिन जिसमें रोटी के फूलके, दो तरह की सब्जी, अचार, पापड कतरन और थरमस में झोलियां भर कर मिलने पहुंच गए।
अस्पताल में काफी लोग थे वे सब सेवाराम जी का या व्यवहार देख मन ही मन प्रशंसा करने से खुद को रोक नही पा रहे थे। बड़े प्यार से उन्होंने मरीज और उनके परिजन को अपने हाथों से जिमाया और जाते-जाते एक बंद लिफाफा बेटे काकू के हाथ में थमा कर रवाना हो गए।
सेवाराम जी के लौटते ही जब काकू ने वह लिफाफा खोला तो सभी लोग दंग रह गए! लिफाफे में कुछ रुपए और एक पत्र था ?
पत्र पढ़कर परिवार के सभी लोग की आँखे नम हो गई, पत्र में लिखा था कि मैं अपनी ओर से फूल तो नहीं दे सकता मगर कुछ पंखुड़ी आपको दे रहा हूं जब भी कभी आपको लगे तो रुपए लौटा देना, मगर इस समय कृपया रख लीजिये। एक हाथ में कुछ रुपए और दूसरे हाथ से पत्र पढ़ते-पढ़ते काकू की आंखें भर गई, वहीं बिस्तर पर लेटी ब्यान जी साहब मानो सेवाराम जी को दिल से इस कार्य के लिए दुआ दे रही थी…
लेखक परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसम्बर १९७० जन्मस्थान इन्दौर (मध्यप्रदेश) है, इसी शहर से आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की, आप सामाजिक क्षेत्र में गतिविधियों में सक्रिय हैं, वहीं स्वतंत्र लेखन, सामाजिक जागरूकता, के साथ साथ समाज सेवा भी करते हैंl
लेखन में आपकी विधा-काव्य, व्यंग्य, लघुकथा और लेख हैl आपकी उपलब्धि यही है कि, उच्च न्यायालय (इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता जारी है। हाल ही में आपको डॉक्टर एसएन तिवारी स्मृति सम्मान समारोह में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया है।
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