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आत्म चिंतन सूत्र

संजय जैन
मुंबई
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चार रोटी हजम
कर लेते हो तो।
किसी की चार बातें भी
हजम करना सीखो।
कह गये कड़वे शब्दो पर
मौन रहकर विचार करो।
और समय का इंतजार करो
उन्हें अपनी की करनी का फल
इसी भव में मिल जायेगा।
इसलिए अपनी शक्ति को
यू ही बर्बाद मत करो।।

अमीरी दिलसे होती है
धन से नहीं।
सुखकी प्राप्ति दान से होती है
धन संग्रह से नहीं।
पाप की नींव पर पुण्य का
महल खड़ा नहीं होता है।
इसलिए धर्म को चुने
और परिग्रह से बचे।।

कोई भी संकट मनुष्य के
साहस से बड़ा नहीं।
हारा वही,
जो संकट से लड़ा नहीं।
इसलिए अपने कर्म पर
यकीन करो।
और वेबजह की चिंता
करना तुम छोड़ दो।।

धन से सुविधायें तो
जुटाई जा सकती हैं।
किंतु आत्म सुख सन्तोष नहीं।
क्योंकि साम्राज्य की अपेक्षा
सम्यग्दर्शन अधिक मूल्यवान है।
इसे प्राप्त करने की
अपने जीवन में कोशिश करो।।

जितने की आवश्यकता है
उतने का उपयोग करे।
बाकी का उन्हें दे
जिन्हें इनकी जरूरत है।
जैन दर्शन के अनुसार
दया धर्म के पथ पर चलोगें।
तो मोक्ष मार्ग को प्राप्त करोगे।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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