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राम भारत का स्वाभिमान

मंजिरी पुणताम्बेकर
बडौदा (गुजरात)

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भगवान राम से है भारत की पहचान
शुरू हो गया रामजन्म स्थल निर्माण
राम मंदिर हम सभी भारतीयों का स्वाभिमान
राम सभी के, सभी राम के ये हमारी शान

संस्कृति ओर संस्कारों पर हमें हो अभिमान
सर्वें भवन्तु सुखीन: परिपाटी करें सब का सम्मान

त्याग, बलिदान, साहस, धैर्य की थी वह मूर्ती
तभी सारे विश्व में है आज सियाराम जी की कीर्ति

वानर सेना ने दिखाई प्रभु राम जी में भक्ति
तभी समुद्र पर पुल बनाने की उन्हें मिली शक्ति

रावण जैसे बलशाली राक्षस को मार समझाई, बुराई पर अच्छाई की जीत
चारों भाई सगे न होने पर भी रिश्तों को साथ रखने की सीख

अपने आराध्य के चरणों में बिन संदेह समर्पित होना
तभी मोक्ष और जन्म मरण से छुटकारा पाना

विनम्र आचरण से बड़ों का सम्मान, मानों छोटों का आभार
उम्र, लिंग भेदभाव बावजूद समान करो व्यवहार

युगों से न हो सका अब हो रहा साकार
वर्षों की तपस्या के बाद आज राम मंदिर ले रहा आकार

हे कौसलेय हर कण में बसने वाले राम
आर्यावर्त आप हो मर्यादापुरुषोत्तम राम

हिंदुत्व का अभिमान आप हो प्रतिमान राम
कलियुग में मुक्ति पाने का सटीक उपाय राम

रामरूपी संस्कृति का मान अभिमान हे राम जी पर
नील वर्ण सजी नील छवि को मेरा नमन झुक झुक कर

दशरथ नंदन श्री हरी के ये सातवे अवतार
रघुपति राजा राम को नमन मेरा बारम्बार

परिचय :- मंजिरी पुणताम्बेकर
निवासी : बडौदा (गुजरात)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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