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आत्म मंथन

अनुराग बंसल
जयपुर राजस्थान

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जब भी अकेला बैठता हूँ,
शुन्य की गहराइयों मैं यह सोचने लग जाता हूँ।
क्या खोया और क्या पाया समझ नहीं पाता हूँ।।

जब भी अकेला बैठता हूँ,
अतित की गहराइयों मैं डूबने लग जाता हूँ।
क्या गलत किया और क्या सही का हिसाब नहीं लगा पाता हूँ।।

जब भी अकेला बैठता हूँ ,
खुद से ही बाते करने लग जाता हूँ।
क्यों हो रहा हैं ये का जवाब ढूंढ नहीं पाता हूँ।।

जब भी अकेला बैठता हूँ,
कुछ हसीन लम्हे याद आ जाते है,
फिर दिल को ये समझाता हु, जो होना था हो गया,
और आगे बढ़ने की कोशिश करने लग जाता हूँ।।

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परिचय :- अनुराग बंसल
निवासी : जयपुर राजस्थान
शिक्षा : एम.टेक. (स्ट्रक्चर), बी.टेक (सिविल)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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