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ऋतु चक्र

श्याम सुन्दर शास्त्री
(अमझेरा वर्तमान खरगोन)

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घनघोर घटाओं का अंबर में विचरण,
बारिश से पुरित धरा, आंगन।
विदाई का आ गया क्षण,
शीत से हुई बदन की ठिठुरन।
सूर्य का मकर में आगमन,
हर्षित हुआ जन मन।
पतंग का आकाश में उड्डयन,
हिलोरें ले रहा है तन।
जैसे आकांक्षाओं का गगन में भ्रमण,
पुलकित हो रहा चमन सुमन।
वसंत प्रवेश के बता रहा लक्षण
पादप करेंगे नव पल्लव आवरण।
रंगों से सराबोर होगा तन वसन,
ग्रीष्म से होगा फिर काया तपन।
प्रकृति का अद्भुत यह रचन,
ऋतुओं का यह चक्रण।

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परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,)
मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन
शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित
रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि …


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