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भाव-सागर को मथाती लेखनी

रामकिशोर श्रीवास्तव ‘रवि’
कोलार रोड, भोपाल (म.प्र.)

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भाव-सागर को ~ मथाती लेखन।
काव्य का अमृत ~ पिलाती लेखन।

शारदे माँ की अगर कवि पर कृपा,
ज्ञान-रस-आनंद ~ लाती लेखन।

रोज दुनिया में ~ घटित जो हो रहा,
पूर्ण जस का तस दिखाती लेखन।

जानते हैं सब कलम की शक्ति को,
राज सिंहासन ~ डिगाती लेखन।

सत्य हो या झूठ ~ छिप सकता नहीं,
छद्म के परदे ~ हटाती लेखन।

देश सर्वोपरि ~ जिएँ हम देशहित,
बोध समता का ~ कराती लेखन।

गीत-कविता-लेख ~ सुख आनंद दें,
‘रवि’ तभी जग को ~ सुहाती लेखन।

परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव ‘रवि’
निवासी : कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•)
* २००५ से सक्रिय लेखन।
* २०१० से फेसबुक पर विभिन्न साहित्यिक मंचों पर प्रतिदिन लेखन।
* विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित।
* लगभग १० साझा संकलनों में सहभागिता।
सम्प्रति : पुस्तक प्रकाशन की तैयारी, छंदबद्ध रचनाओं में विशेष रुचि, गीत, गीतिका, छंद पसंदीदा विधाएँ.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूं कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित और मौलिक है।


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