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महाभारत छ्ल का विज्ञान

चेतना ठाकुर
चंपारण (बिहार)

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महाभारत तो छ्ल का विज्ञान
यह कैसा धर्म ज्ञान?
माँ कुंती ने ली कसम
इंद्र ने ले ली कवच
यह कैसा इंसाफ?
किसी ने ले ली पहचान,
अर्जुन ने ले ली जान।
यह कैसा धर्म ज्ञान
महाभारत छ्ल का विज्ञान।
अभिमन्यु ने ली
मां के गर्भ में ज्ञान।
इस खातीर बलिदान दिया,
कर्ज चुकाया उसने
गर्भ में ना रखा तूने,
दीया गंगा की मझधार
गंगा पुत्र ने पिता की खातिर,
मैंने मां की खातिर बलिदान दिया।
कर्ण हूँ मैं सूत पुत्र यही पहचान मिला।
ना दिया था जन्म मृत्यु देना क्या उचित हुआ
एक मां का कर्तव्य क्या समुचित हुआ।
मैंने रुकावटों मे भी अपना पराक्रम दिखाया।
तुम्हारे बेटों ने, ज्ञानी गुरुओं से,
हमसे क्या ज्यादा सीख पाया।
यहां तक की श्री कृष्ण कहे जाते हैं भगवान,
कि किया भगवता का अभिमान।
अपने पार्थ को दिया गुरु ज्ञान।
गलत हो या सही, भगवान कहे वही धर्म रही
हम अधर्म के सलाहकार।
ना मिलने वाले मां की ममता,
ना भाइयों का प्यार
रन युद्ध में लड़ रहे निष्काम।
हे जननी तेरे चरणों में बारंबार प्रणाम।

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लेखक परिचय :-  नाम – चेतना ठाकुर
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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