अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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समर्पित – श्री रामकृष्ण परमहंस जी की निर्मल सरल आनंदित कर देने वाली प्रेमायुक्त भक्ति को.. जो वास्तविक प्रेम से परमात्मा की प्राप्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है… भावनाओं के व्यापारियों को समझना होगा प्रेम कितना पावन है… जिसे औचित्यविहीन अंधी आधुनिकता ने कलिकाल के विकराल दलदल में सराबोर कर रखा है… प्रेम वही जिसमें ज्ञान अप्रासंगिक हो जावे फिर भक्ति इससे अछूती भला रहे तो कैसे? स्वलिखित पंक्तियों में प्रस्तुत :-
भाषा – तत्सम हिन्दी शब्द संयोजन
रस – शांत, भाव-भक्ति, अलंकार – अनुप्रास, श्लेष.
नाथ के विचार से
अनाथ हो विरक्त हो;
भावना विहीन जो,
कहो वो कैसे भक्त हो?
प्रेम बिंदु भाव का;
आधार ही है अर्चना,
प्रीत की विजय तभी;
आराधना असक्त हो।
भावना विहीन जो, कहो वो कैसे भक्त हो?
ज्ञान के प्रसंग में;
दंभमय कुसंग में,
तो! मोक्ष ही विषक्त हो।
भावना विहीन जो कहो वो कैसे भक्त हो?
देह हो या हंस हो;
हो संत याकि कंत हो,
विधि कृति में व्यस्त हो।
भावना विहीन जो कहो वो कैंसे भक्त हो?
जन्म के कुचक्र में;
इन्द्रियों के वक्र में,
विशेष मात्र मंत्र हो।
भावना विहीन जो कहो वो कैसे भक्त हो?
दीन तो अधीन हों;
परम पिता के ध्यान में,
यूँ विलीन प्रार्थना;
दयानिधि दिवत्व हो।
मोह के प्रपंच से;
वेदना के दंश से;
सदैव ही विमुक्त हो।
एकमस्तु अरु हृदय; निर्विकार युक्त हो।
भावना विहीन जो कहो वो कैसे भक्त हो?
तो!
जैसे रामकृष्ण की थी,
साधना निमग्न ही;
अंतरों के द्वंद्व में,
तरंग की उमंग सी।
ईश की प्रसन्नता तो,
है निमुक्त नेह में;
हम सरल; विरल समाज;
शून्य का प्रलाप हो।
तब अगम्यता के बोध,
हों सुबोध स्वास् में ;
चित्र की विचित्रता का,
आत्मा को ज्ञान हो।
एकमीत ज्यों अजीत,
प्राणमय प्रयुक्त हो।
भावना विहीन जो, कहो वो कैंसे भक्त हो?
नाथ के विचार से, अनाथ हो विरक्त हो।
भावना विहीन जो कहो वो कैंसे भक्त हो?
दोहा- जोग बड़ो पावन सुनो, मूरख रहें अनजान।
बिन पाये ही मगन सों, भक्त सदा विद्वान।।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
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