Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सावन ना बरसा

मनीषा शर्मा
इंदौर म.प्र.

********************

मेरा ये बावरा मन पिया मिलन को तरसा
सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

छाते रहे यादों के बादल तो बहुत
बादलों को देख मन घड़ी भर हर्षा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बरस भर किया था सावन का इंतजार
पल-पल बीता ऐसे जैसे कोई अरसा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बीता जाए सावन नाआए बैरी पिया
लागे मोहे अब तो कुछ- कुछ डर सा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बहुत संभाला था मैंने खुद को मगर
छलक ही गया दो नैयनन का कलसा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

परिचय :-  मनीषा शर्मा
जन्म : २८/८/१९८२
शिक्षा : बी.कॉम., एम. ऐ.
लेखन शुरुआत वर्ष : लेखन में रुचि बचपन से है
लेखन विधा : कविता ,व्यंग्य ,कहानी समसामयिक लेखन।
व्यवसाय : आकाशवाणी केंद्र इंदौर उद्घोषक
निवासी : इंदौर म.प्र.
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे सदस्य बनाएं लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *