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सावन ना बरसा

मनीषा शर्मा
इंदौर म.प्र.

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मेरा ये बावरा मन पिया मिलन को तरसा
सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

छाते रहे यादों के बादल तो बहुत
बादलों को देख मन घड़ी भर हर्षा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बरस भर किया था सावन का इंतजार
पल-पल बीता ऐसे जैसे कोई अरसा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बीता जाए सावन नाआए बैरी पिया
लागे मोहे अब तो कुछ- कुछ डर सा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

बहुत संभाला था मैंने खुद को मगर
छलक ही गया दो नैयनन का कलसा

सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा

परिचय :-  मनीषा शर्मा
जन्म : २८/८/१९८२
शिक्षा : बी.कॉम., एम. ऐ.
लेखन शुरुआत वर्ष : लेखन में रुचि बचपन से है
लेखन विधा : कविता ,व्यंग्य ,कहानी समसामयिक लेखन।
व्यवसाय : आकाशवाणी केंद्र इंदौर उद्घोषक
निवासी : इंदौर म.प्र.
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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