माया मालवेन्द्र बदेका
उज्जैन (म.प्र.)
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दीदी आप भजन गाइये ना, कितना अच्छा गाती है’।
सरला जी उसे देख मुस्कुराई कुछ बोली नहीं।
वह अभी इस शहर में नई नई आई थी। धीरे धीरे पास पड़ोस से परिचित हो रही थी। सामूहिक मायका और सामूहिक ससुराल परिवार की आदी, वह सभी को अपने घर जैसा मानती थी।
कभी भजन कभी कथा कभी कुछ और कार्यक्रम में आपस में मिलने लगे।
उसको सभी के साथ मिलकर अच्छा लगा और सभी ने प्यार से उसे अपनाया।
उसकी उम्र से बड़ी कई महिलाएं थी, वह उनका सम्मान करती थी।
ऐसे ही स्वभानुसार उसने आज भी कह दिया चलिए दीदी आप सब आज हमारे यहां चाय बनाती हूं। आप सभी का आना नहीं हुआ अब तक।
एक दो छोटी थी वह कुछ नहीं बोली, लेकिन जिन्हें दीदी कहकर सम्बोधित किया, वह एकदम तमतमा गई और बोली__
‘यहां दीदी कोई नहीं सबका नाम लेकर बुलाया कीजिए’।
हम बुढ़ा नहीं गये है।
वह हतप्रभ थी की बड़े लोग प्यार और सम्मान की कद्र करते हैं, यहां तो उल्टा ही था।
वह बहुत मायूसी से बोली_ यह मुझसे नहीं होगा।
मेरा स्वभाव, मेरे संस्कार, मेरी मर्यादा में नहीं छोड़ सकती।
आप सबको अच्छा नहीं लगता कोई बात नहीं।
लेकिन आप सब अच्छी तरह जानते हैं उम्र का तकाजा आधुनिकता से, विचार से, आडम्बर से नही रूकता।
हम कभी तो किसी से बड़े होंगे और बुढ़े भी।
इतना सा कह दोनों हाथ जोड़कर अपने घर आ गई।
लेखिका परिचय :-
नाम – माया मालवेन्द्र बदेका
पिता – डाॅ श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय
माता – श्रीमती चंद्रावली पान्डेय
पति – मालवेन्द्र बदेका
जन्म – ५ सितम्बर १९५८ (जन्माष्टमी) इंदौर मध्यप्रदेश
शिक्षा – एम• ए• अर्थशास्त्र
शौक – संस्कृति, संगीत, लेखन, पठन, लोक संस्कृति
लेखन – चौथी कक्षा मे शुरुवात हिंदी, माळवी,गुजराती लेखन
प्रकाशन – पत्र पत्रिका मे हिन्दी, मालवी में प्रकाशन।
पुस्तक प्रकाशन – १ मौन शबद भी मुखर वे कदी (मालवी) २ – संजा बई का गीत
साझा संकलन – काव्य गंगा, सखी साहित्य, कवितायन, अंतरा शब्द शक्ति, साहित्य अनुसंधान
लघुकथा – लघुत्तम महत्तम, सहोदरी
माळवी – मालवी चौपाल (मालवी)
विधा – हिंदी गीत, भजन, छल्ला, मालवी गीत, लघुकथा हिन्दी, मालवी व्यंग, सजल, नवगीत, चित्र चिंतन, पिरामिड, हायकू, अन्य विधा मे रचना!
सम्मान – झलक निगम संस्कृति सम्मान, श्रीकृष्ण सरल शोध संस्थान गुना द्वारा सम्मान, संस्कृत महाविधालय थाईलैंड द्वारा सम्मान, शब्द प्रवाह सम्मान, हल्ला गुल्ला मंच सम्मान रतलाम, मालवी मिठास मंच द्वारा, नारी शक्ति मंच जावरा, औदिच्य ब्राह्मण समाज,गुरूव ब्राह्मण समाज द्वारा सम्मानित, प्रतिकल्पा सम्मान जमुनाबाई लोकसंस्थान उज्जैन, द्वारा मालवी लेखन के लिए पांडुलिपी पुरस्कार, दैनिक अग्निपथ कवि साहित्यकार सम्मान, शुभसंकल्प संस्था इंदौर, शुजालपुर मालवी न्यास से सम्मानित, संवाद मालवी चौपाल, संजा और मांडना के लिए पुरस्कार
मुख्य ध्येय – हिंदी के साथ आंचलिक भाषा और लोककृति विशेष संजा को जीवंत रखना, बेटी बचाओ मुहिम मे मालवी हिन्दी मे पंक्तिया, संजा, मांडना संरक्षण पच्चीस वर्ष से अधिक भारत से बाहर रहकर हिंदी लेखन का प्रसार, आंचलिक बोली मालवी का प्रसार, मारिशस, थाईलैंड, हिंदी सम्मेलन में उपस्थिति व थाईलैंड में हिंदी गोष्ठी समूह में सहभागिता की।
संरक्षक – झलक निगम संस्कृति, संरक्षक शब्द प्रवाह
संस्थापक – यो माया को मालवो, या मालवा की माया।
अध्यक्ष – संस्कृति सरंक्षण
पुरस्कार प्रदत – “मालवा के गांधी” डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय “मालवा रत्न” स्मृति पुरस्कार!
निवासी – उज्जैन (म.प्र.)
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