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गुलाब

प्रीति जैन
इंदौर (मध्यप्रदेश)

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रंग गुलाबी, महका मंद समीर, कांटों में गुलाब सजता है
महकते गुलाब की अदावरी, मधुबन में खुशबू बिखेरता है
गुलाब की मोहक अदा से जग दीवाना, अनमोल प्रीत का ख़ज़ाना
अदायगी पर गुलाब की, चाहक भ्रमर और चंचल चितवन बहकता है

कांटो में रहकर भी मुस्कुराए, मंत्रमुग्ध करें भीनी भीनी सुगंध
खुद का मोल न जाने, हिरण की नाभि में जैसे कस्तूरी गंध
दो पल की देकर खुशबू, मदमाता गुलाब ख्वाबों सा बिखरता है

मोह लेता है हर मन, खिल उठता भगवन के चरण कमल
मन मोहिनी कर श्रृंगार गुलाब का, सजाती केश मलमल
ओस भीगी घनेरी जुल्फों में, सुरभित इत्र सा गुलाब महकता है

प्रेमियों के प्रीत का प्रतीक, गुलाब की अदा पर कवि रचे कविता
नि:शब्द हो बांटता है सुगंध, शख्सियत गुलाब की मधुमिता
मालकौंस गाती गुलाब की पंखुड़ियों पर मनभावन भंवरा मंडराता है

ना घमंड नजा़कत और नजा़रों पर, चढ़ता है गुलाब मजा़रों में
बिखरना भी हो दो पल में गर, हंसकर खिलता गुलजारों में
प्यार, हंसी, खुशबू, श्रृंगार जग को देकर फिर वो मुरझाता है

ऐ‌ मानव जीवन की सीख ले, गुलाब की अनमोल फितरत से
कांटों भरी चुभन में हंसकर खिलता, संवार जीवन इस नसीहत से
ऐ बांवरे मन हो जा गुलाब, कांटों के नशेमन में भी वो मुस्कुराता है

परिचय :- प्रीति धीरज जैन
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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