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उठो क्रांति का ले मशाल

ओम प्रकाश त्रिपाठी
गोरखपुर

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उठो क्रांति का ले मशाल,
फिर से ज्वाला दिखला डालो।
सडे गले इस सिस्टम से,
अब अपना पिंड छुडा डालो।।

इस सिस्टम को इन नेताओं ने,
स्वयं हेतु निर्माण किया।
अपने हित को साध सके,
इसका खूब बिधान किया।।

तीस साल पढने मे बिताओ,
पैतीस मे रिटायर हो जाओ।
कहते बैंक से कर्जा लेकर,
रोजीरोटी मे लग जाओ।।

पर अपनी रिटायरी के उम्र का
कोई कानून नहीं लाया।
सत्तर के भी हो जाने पर
मंत्री पद को इसने पाया।।

जनता का हित करना हो तो
पैसे इनके पास नही।
अपना वेतन बढता है जब
होती कोई बात नहीं।।

आना जाना दवा व दारू
इनका सब कुछ जनता पर।
पता नहीं फिर वेतन भी क्यों
लदता है फिर जनता पर।।

कहते हैं सब जन समान हैं
भारत की इस भूमि पर।
फिर असमान कानून यहां
क्यों बनते भारत भूमि पर।।

इसीलिए तो कहता हूँ कि
उठो बाण संधान करो।
एक और क्रांति के खातिर
जन जन का आह्वान करो।।जय हिन्द।।

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लेखक परिचय :-  ओम प्रकाश त्रिपाठी आल इंडिया रेडियो गोरखपुर


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