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घड़ी भर ही सही

होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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घड़ी भर ही सही, मिले दोस्त कही,
यादें हो जाये ताजा, लगे जमाना सही,
बहने लगे आंखों से, कीमती वो आंसू,
सच्ची दोस्ती इस, जमाने ने यह कही।

घड़ी भर ही सही, आये वीरों की याद,
गोली उन पर चलाई, वो सारे जल्लाद,
वीरों ने खून बहाया, नहीं की फरियाद,
नाम रहेगा जहां में, सदियों के भी बाद।

घड़ी भर ही सही, दिखाये दरियादिली,
हर जन कह उठे, सुख की घड़ी मिली,
हर देशभक्तों की, होती है इच्छा दिली,
खुशियां देखकर, हर फूल कली खिली।

घड़ी भर ही सही, मिले हर जन खुशी,
दर्द मिटे पल में, कोई नहीं रहेगा दुखी,
मालिक की नजरें, हर जन रहे इनायत,
ईश्वर के सदा सामने, नजरें रहे यूं झुकी।

घड़ी भर ही सही, प्रभु मिल जाये आज,
उस घड़ी पर ताउम्र ही, मुझको हो नाज,
खुशियां नहीं समा पाये, यह दिल मेरा,
उस दाता का रहा है, इस जहां में राज।

घड़ी भर ही सही, कोई तो अपना माने,
सुख दुख कैसे होते, दिल से कभी जाने,
हमने भी कितने, दर्द सहे इस जहान में,
आए मेरा कोई तो, मुझको सही पहचाने।

घड़ी भर ही सही, कर लेना यह विचार,
कितने आये कितने गये, संख्या बेशुमार,
घमंड त्याग देना, मिथ्या जगत कहलाता,
दुख उठाना सीखों, मिलते जग में हजार।

घड़ी भर ही सही, दे दे निज आशीर्वाद,
बिछुड़े माता पिता की, आये बहुत याद,
एक बार उनको मिला दे, हे! मेरे ईश्वर,
जीवन त्यागने से पहले, यही फरियाद।

घड़ी भर ही सही, अपनों से तो मिलना,
लगेगा बगीचे की, कलियोंं का खिलना,
बड़ी शिद्दत से बैठे है, आने की आश में,
अपनों से मिलने को, पड़ता जन हिलना।

घड़ी भर ही सही, कर लो बच्चों से प्यार,
ये वो भविष्य होते, लगते फूलों का हार,
बिन मां बाप के, जग में मिलते हैं बच्चे,
कभी जाकर अनाथालय, देना उन्हें दुलार।

घड़ी भर ही सही, सृष्टि को अपना मान,
वसुधैव कुटुम्बकम, नारे को मिले सम्मान,
दुश्मनी जहां की तब, मिट जायेगी सारी,
जान देनी भी पड़े तो देता, बढ़ जाये शान।।

परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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