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गुरुजी

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रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर

अज्ञानता दूर करके गुरुजी ने,
ज्ञान की ज्योती जलाया है।
गुरु जी के चरणों में रहकर,
हमने सब शिक्षा पाया है।
गलत राह पर भटके जब हम,
गुरुजी ने ही राह दिखाया है।
सत्य मार्ग पर चलने को,
गुरुजी ने दिशा दिखाया है।
गुरुजी का आदर करके,
हमने आशीर्वाद पाया है।
क्या है दुनिया, कैसी है दुनिया?
गुरुजी ने हमें बताया है।
असाक्षरता के अंधरे में,
गुरुजी ने शिक्षा का दीप जलाया है।
पढ़-लिखकर क्या करें हम,
गुरुजी ने यह भी हमें बताया है।
इस भरी-पूरी दुनिया का,
गुरुजी ने महत्व समझाया है।
बीच धार से बाहर निकलना,
गुरुजी ने हमें सिखाया है।
मुश्किलों के सामने डटना,
गुरुजी ने यह भी हमें बताया है।
लाख मुसीबतों में डट कर खड़े रहना,
गुरुजी ने हमें सिखाया है ।
हमेशा बड़ों की आदर करना,
गुरुजी ने हमें सिखाया है ।
हमें आगे बढ़ने का रास्ता,
गुरुजी ने ही दिखाया है ।
सबको ज्ञान बाँटते रहना,
गुरुजी ने हमें बताया है ।
हर कठिनाई को आसान बनाना,
गुरुजी ने हमें सिखाया है।

परिचय :-
नाम- सौरभ कुमार ठाकुर
पिता – राम विनोद ठाकुर
माता –
कामिनी देवी
पता – 
रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार)
पेशा –
१० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक
जन्मदिन –
१७ मार्च २००५
देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न, साहित्य रत्न, स्टार हिंदी बेस्ट राइटर अवार्ड – २०१९ इत्यादी।


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