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धर्म युद्ध

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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धर्म युद्ध फिर से लड़ना होगा
मानव मात्र को मुक्ति दिलाना।

फिर नई त्रृचा को गढ़ना होगा
अनासक्त कर्म विधान को
हृदय पटल पर लाना होगा।

मां भारती के सुपुत्रों को
जीवन संग्राम में भिड़ना होगा।

अजय बने फिर मां भारती
इसे विश्व पटल पर लाना होगा।

अंधे बहरे जो बने मनुज है
उस धृतराष्ट्र को मरना होगा।

सत्य असत्य की परिभाषा को
मूर्ख मती तुझे बतलाना होगा।

दुस्साहस और भोगवाद को
शीघ्र मटिया मेट करना होगा।

हिमालय की तुंग शिखर से
सिंघनाद फिर करना होगा।

बन अर्जुन तू उठा गानडीव
धर्म युद्ध फिर लड़ना होगा।

महिषासुर की मर्दन हेतु
नवदुर्गा को आना होगा।

खोए हुए अपने वैभव प्राप्ति हेतु
राजा सूरथ सदृश तुझे बनना होगा।

अनाचार मिटाने हेतु
तुझे श्री परशुराम फिर बनना होगा।

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परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला – पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


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