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सुकून की ज़िंदगी

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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सुकून की ज़िंदगी हर किसी को नसीब नही,
चलो आज किसी गरीब को गले लगाया जाए।

तरसते रहते है जो एक निवाले को जहाँ में,
चलो आज किसी भूखे को खाना खिलाया जाए।

बदलते हालात और बदलते हुए इस दौर में,
चलो आज किसी गैर को अपना बनाया जाए।

बहुत मुश्किलों से मिली है हमे जिंदगी यारो,
चलो आज एक दूसरे को फिर हंसाया जाए।

हर किसी की चाहत होती है कुछ करने की,
चलो आज उनके सपनो को पंख लगाया जाए।

जो खुश रहते है गैरो के आशियाने देखकर,
चलो आज उनके रहने का घर बनाया जाए।

रक्तदान, नैत्रजांच, भागवत कथा बुरी नही,
हप्ते में एक शिविर अन्न-वस्त्र का लगाया जाए।

जो करता है जीवहत्या वो होता है जानवर,
चलो आज समाज को शाकाहारी बनाया जाए।

प्रकृति भी नाराज़ है नियमो के उलंघन से,
चलो आज अपने घर एक वृक्ष लगाया जाए।

बदली दुनिया के दस्तूर भी बदल गए देखो,
घर है तो बाहर कोई बृद्धाश्रम ना बनाया जाए।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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