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रिश्ते का लिहाज़

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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                  लंबे समयांतराल बाद जिला कलेक्टर के आदेशानुसार लाकडाउन में थोड़ी छूट दी गई। ज्यादातर लोग घरों से निकल कर बाजार की तरफ चल पड़े थे, दैनिक जीवन से जुड़ी आवश्यक सामग्री की खरीदी करने के लिए। बालकनी में बैठे-बैठे मैं लोगों को बाजार आते-जाते देख रहा था, इच्छा हुई कि बाजार घूम आता हूँ। मैं भी घर से निकल पड़ा बाजार की तरफ। बाजार पहुंचकर मैं समैय्या के होटल में एक कप चाय बोलकर चाय आने का इंतजार कर रहा था, तभी मेरी नज़र पड़ी होटल में एक कोने में बैठे तीन लोगों पर, जो कि एक ही स्टूल पर बैठे थे, जिनमें एक व्यक्ति ठीक बीच में बैठे थे, और शराब की बोतल से शराब गिलास में डालकर क्रमश: पहले और फिर दूसरे व्यक्ति को बारी-बारी से दे रहे थे।जब पहले व्यक्ति शराब पी रहे होते तो दूसरे सज्जन दूसरी तरफ नज़र घुमा लेते थे और जब दूसरे सज्जन शराब पी रहे होते तो पहले वाले सज्जन दूसरी तरफ नज़र घुमा लेते। यह दृश्य देखकर मुझे बड़ा अजीबोगरीब लगा इसलिए मैं उन दोनों के शराब पीकर जाते ही तीसरे व्यक्ति जो दोनों को गिलास में शराब डालकर दे रहे थे उनके पास गया और पूछा कि जब ये दोनों व्यक्ति शराब का सेवन ही कर रहे थे तो एक दूसरे की तरफ पीठ कर के क्यों….? एक दूसरे से नज़र बचाकर क्यों…? उस तीसरे व्यक्ति ने मुझे बड़ी विनम्रता पूर्वक बताया-कि जो दोनों व्यक्ति बारी-बारी शराब पी रहे थे इनकी उम्र में पिता-पुत्र के उम्र जितना अंतर है और अंतर ही नहीं है अपितु ये दोनों पिता-पुत्र ही हैं।
पिता-पुत्र के रिश्ते की मर्यादा बनी रहे इसलिए बाप-बेटे दोनों एक दूसरे का और रिश्ते का लिहाज़ करते हुए शराब पीते समय नज़र दूसरी तरफ कर लेते थे। पिता-पुत्र के बीच यह मर्यादा, लिहाज़, सम्मान देख मैं नि:शब्द था आश्चर्यचकित था। जबकि यह वाकया फादर्स डे वाले दिन का ही था।

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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