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रिश्ता नया नया

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रचयिता : माधुरी शुक्ला

क्या में कहु,
क्या में सुनाऊ
बड़ा ही कठिन रास्ता है यह,,
विजयपथ
यह मंजर बड़ा ही
बीहड़ भरा
मंजिल कहा होगी
नही पता।
गर  कुछ कहा,
आपने सुना
गर बिगड़ गया
कुछ, ये नया
अहसास है,
जज्बात नया
रिश्ता भी तो है
नया नया।
कुछ तो सीमा है,
इसकी
मंजिल का पता नही
बहके हुए
कदमो को
रोकना ही सही।
ये रिश्ता नया नया
महक है
अभी बाकी इसकी
सुगंध भी है
बाकी
दोस्ती में भी
बहुत कुछ,
खूबसूरत सा
रंग है बाकी।
बिखरने ना दे
हम इसे
फूलों की कलियों की
तरह
रिश्ता हमारा
नया नया सा जो है।
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लेखीका परिचय :- 
नाम माधुरी शुक्ला
पति – योगेश शुक्ला
शिक्षा – एम .एस .सी.( गणित) बी .एड.
कार्य – शिक्षक
निवास – कोटा (राजस्थान)

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