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संबंध अनूठा राखी का

हंसराज गुप्ता
जयपुर (राजस्थान)

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संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

मधुर अटूट संबंध अनोखा
भाई बहन का बंधन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

जैसे नारियल में पानी
डोरी में रेशम होती है
मिठाई में मिठास वैसे
भाई की बहना होती है

सावन की पावन पूनम को
भाई से बहनें मिलती हैं
बहिनों का हिवडा भरता
भाई की बाँहें खिलती हैं

भाई बहन का जीवन तो
जैसे सुगंध और चंदन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

नारियल मिश्री, स्नेह हृदय में
कच्चे धागों में पक्का प्यार
कुंकुम तिलक आशीष अमर
यश दीर्घायु ऊर्जा भण्डार

आजीविका और शस्त्र शास्त्र
उपहार में सीखूंगी मैं
हूँ लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती
अपना इतिहास लिखूँगी मैं

बहना घर का गहना है
भाई घर का रघुनन्दन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

कर्मा का जौहर याद करो
हुमायूं को राखी भिजवाई थी
शरण लेकर निर्धन के घर
आजाद ने राखी बंधवाई थी

बोले अनाथ ना हो बहना
उनकी सूनी ना रहे कलाई
सुबह रूपये पर्ची देख माँ
बेटी की आँखें भर आई

पावन संस्कृति,
विश्वास का बंधन
होता कोई स्पन्दन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

शिशुपाल वध में कृष्ण ने
द्रोपदी से चीर बंधाया था
चीर बढाकर भरी सभा में
धागों का कर्ज चुकाया था

विष्णु थे बलि के द्वारपाल
भक्ति की उन्हें दुहाई थी
बलि के राखी बांध लक्ष्मी
अपने पति को ले आई थी

यजमान के राखी बंधन में
बलि का धर्म विबंधन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

दैवासुर संग्राम हुआ तब
निश्चित थी देवों की हार
इन्द्राणी की मंत्रित राखी
देवों की जीत, दानव संहार

सिकन्दर जब गिरा धरा पर
पोरस को राखी याद रही
बंदी बना खुद वही सूत्र था
उनकी सीमा आबाद रही

भाइयों बहनों शिकागो में
विवेकानंद का उद्बोधन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

रजपूती शेर ललनाओं से
कुंकुम राखी ले निकलते थे
रक्त पीती असिधार चले
अगणित अरिशीश उछलते थे

बहनों! पूजा में राखी रखना
सेना के नाम से थाली में
शक्ति प्यार लम्बी आयु
गूंजेगी तोप दुनाली में

इस वन्दन में शत्रुदल का
संहार सकल अरि क्रन्दन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

हम सैनिक की बहन करोड़ों
सीमा पर राखी लायेंगी
वहीं होगा सत्कार तुम्हारा
त्योहार वहीं मनायेंगी
जिन वीरों ने आहूति दी
उनकी समाधि पर जायेंगी
हृदय भाव से तिलक राखी
श्रद्धा के दीप जलायेंगी

गौ गायत्री गंगा वन्दन
तिरंगे का अभिनंदन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

मधुर अटूट संबंध अनोखा
भाई बहन का बंधन है
संबंध अनूठा राखी का
प्यारा यह रक्षाबंधन है

परिचय :-  हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी, जयपुर
निवासी : अजीतगढ़ (सीकर) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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