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रंगलो तन-मन रंग से

वीरेंद्र दसौंधी
खरगोन (मध्य प्रदेश)
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रंगलो तन-मन रंग से, देखो होली आई।
रंग-बिरंगे रंग लिए, हँसी ठिठोली आई।।

ढोल, मृदंग की थाप पर, नाचे गाये सारे।
पिचकारीयो  से  बरसे,  रंगो की बौछारे।।
लिए रंग हुरियारो की, देखो  टोली  आई।
रंगलो तन-मन रंग से, देखो होली आई।।

तेरे प्यार का हर रंग, रंगे मेरा तन-मन।
प्रीत रंग ना छुटे कभी, चाहे करे सब जतन।
सहेलियों को संग लिए, लो हमजोली आई।
रंगलो  तन-मन  रंग से, देखो होली आई।

बिसराकर मन राग-द्वेष, सबको गले लगाए।
जाति, धर्म के भेद मिटा, एक रंग हो जाए।
चंदन, गुलाल, कुमकुम की, देखों रोली आई।
रंग लो तन-मन रंग से, देखो होली आई।

कौना-कौना धरती का, लगता है सतरंगी।
भक्ति के रंग में रंगा, झूम  रहा सतसंगी।।
वीर लिए संग श्याम को, राधा भोली आई।
रंग लो तन-मन रंग से, देखो होली आई।।

परिचय :- वीरेंद्र दसौंधी
निवासी : खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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