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सेवा कर्म में राम

नरपत परिहार ‘विद्रोही’
उसरवास (राजस्थान)

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राम नाम सेवा कर्म, सेवा कर्म में राम।
राम पुण्य का हैं सुफल, राम मुक्ति का धाम।।1।।

जपना राम नाम कहे, मिटते कष्ट हजार।
सुख में भी सुमिरन करे, मन की इच्छा मार।।2।।

मंदिर-मंदिर घुम फिरे, मिले नहि कहीं राम।
बगल छुरी दबा ली, कहां से मिले श्याम।।3।।

ना मंदिर-मस्जिद बसे, ना काबा कैलास।
मन भीतर जाके देख , राम करे मनवास।।4।।

लिये हाथ कटार फिरे, शिकार उनका काम।
दुजे को उपदेश देत, बोले जयश्री राम।।5।।

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परिचय :- नरपत परिहार ‘विद्रोही’
निवासी : उसरवास, तहसील खमनौर, राजसमन्द, राजस्थान


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