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रक्षा बंधन

संजय जैन
मुंबई

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हर सावन में आती राखी।
बहिना से मिलवाती राखी।
बहिन-भाई का अनोखा रिश्ता।
बना रहे ये बंधन हमेशा।।

जो भूले से भी ना भूले।
बचपन की वो सब यादे।
बहिन-भाई का अटूट प्रेम।
सब कुछ याद दिलाती राखी।।

भाई बहिन का पवित्र रिश्ता।
हर घर में खुशियां बरसाता।
बहिना सब के दिलमें बसती।
क्योकिं घर की वो है लक्ष्मी।।

मन भावन क्षण लाती राखी।
एक दूसरे की रक्षा की
याद दिलाती राखी।
वचन हमेशा याद दिलाती
बहिन भाई को ये राखी।
इसलिए हर साल ये आती
स्नेह प्यार सब का बढ़ाती।।

भैया भाभी वचन एक देना,
कभी न छोड़ोगे मातपिता को।
यही वचन है भाई मेरा
राखी का उपहार भी मेरा।
घर घर में लायेगा
ये वचन खुशियां अपरम्पार।
देखो आया बहिन भाई का,
रक्षा बंधन का त्यौहार।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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