Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

वर्षाऋतु

मुकुल सांखला
पाली (राजस्थान)

********************

प्रचंड गर्मी में झुलसने के बाद
पृथ्वी को ठंडक की आवश्यकता पडने पर
सुनकर पुकार अपनी भगिनी की
और उसकी असंख्य संतान की
प्रकृति देती है आदेश
षट्ऋतु में से एक उस ऋतु को
जो है मनभावन, मनहरषावन, दिलजीत
जिसकी कृषक देखते है वर्ष पर्यन्त राह
उस वर्षा ऋतु के आने पर
धरती करती है सोलह श्रृंगार
और होता है स्वागत मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध से
नदीयों के कलरव अउर पक्षियों के नृतन-गान से
फैल जाती है हरीतिमा की चादर चऊँऔर
खेतों में सुन मधुर आवाज हल की
नाच उठता है मन मयूर हलधर का
जैसे गूँज उठी हो आंगन में शहनाई
गलियों में जाग जाता है सुनहरा बचपन
कागज की नाव में होती है स्वप्निल यात्रा
अउर प्रथम बरखा का वह आत्मीय स्नान
मंत्रमुग्ध करता वह सतरंगी इंद्रधनुष
देखना है फिर इन दृश्यों को इस बार
मन के चक्षु खोल देखे, आनंद है अपरंपार

.

परिचय :- मुकुल सांखला
सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली
निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *