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बारिश और जीवन – भाग १

पवन मकवाना (हिंदी रक्षक)
इंदौर मध्य प्रदेश

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आँखों पर हाथ रखे
वह
देख रहा था
टकटकी लगाए
बादल को
आस है जिनके
बरसने की

आस बंधी है
जिनसे
मंगलू की धापू की

खेत में खड़े
बबूल
की दाल पर
बैठी चिड़िया की

खेत की मेढ़
के किनारे
बिल में
बैठे मूषक
मेंढक की

और वहीँ
मारे कुण्डली
बैठे
काले नाग की

कि बादल
गरजेगें
पानी बरसेगा
हल चलेगें
बीज डलेगें
छाएगी हरियाली
होगी हर और
खुशहाली

हरे-भरे खेत
देख
हर्षायेगा मन
की अब
होगें सारे दुःख
दूर
हो दीवाना
मजदूर गायेगा

दूर नहीं
अब वो
दिन
जब धापू-मंगलू
का बस्ता
कॉपी किताब
गणवेश स्कुल की
और जूते आयेगें

दूर नहीं दिन
जब बच्चे
नई पोषाख
पहन
इतरायेगें

कमला-विमला
सखियों संग
गायेगी गीत
बादलों की तारीफ़ में
की तुम ना होते
तो
क्या होता हमारा …?

बबूल की डाल
बैठी
चिड़िया दोहराएगी
गाना
की
उसे और उसके
बच्चों को
भरपेट मिलेगा खाना

खेतों में
दौड़ते फिरेगें
मूषक
चुगने को दाना
जाएँ कैसे
बचाकर नज़र
खेत में
बुनेगें
ताना-बाना

आएगा मजा
अपने पीछे
दौड़ते
किसान को
देख
हड़का के हमें
उड़ा के चिड़िया
किसान
बनेगें सेठ
अपनी
मूछों को ऐंठ

नींद से जागेगें
नागराज
कि चलो
हो गई है बारिश
खेतों में

शुरू धमा-चौकड़ी
चूहों-मेंढकों की
घिर आया होगा
किट-पतंगों से
आसमां
कि
अब चलो
समय नहीं है
ये
सोने का

कहीं दूर बैठा
पपीहा
गा रहा है
तराना ख़ुशी का
जिसकी मद्धम
आवाज घोल
रही है अमृत
कानों में

मंगलू-धापू कि
मां
आखों में लिए
आंसू खुशी के
शुक्र मना रही है
और मांग रही है
मन्नत
बादलों से
कि
अबके जैसे
देर से ना आना
अगले बरस …. अगले बरस …. अगले बरस ….

 

परिचय : पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक)
जन्म : ६ नवम्बर १९६९
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति : संस्थापक- हिन्दी रक्षक मंच
सम्पादक- hindirakshak.Com हिन्दीरक्षकडॉटकाम
सम्पादक- divyotthan.Com (DNN)
सचिव- दिव्योत्थान एजुकेशन एन्ड वेलफेयर सोसाइटी
स्वतंत्र पत्रकार व व्यावसाइक छायाचित्रकार


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