Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

राधा की लालसा

शरद सिंह “शरद”
लखनऊ

********************

जीवन में तुम आओ न आओ,
पर इस मन में समाये रहना।
उठें घटाएं काली काली,
झूम उठे हर डाली डाली,
हर तरु की हर डाली पर,
झूमें कोयलिया हो मतबाली,
मन प्रांगण में छाओ न छाओ,
इन अंखियन में कजरा बन रहना।।
पपिहा की ध्वनि लागे सुहानी,
पुलके तन मन सुधि बिसरानी,
सखियन के संग बैठ बैठ के,
उन्हें सुनाऊं कुछ कथा पुरानी,
स्वाति बूंद बन बरसो न बरसो,
पपिहा की प्यास बने तुम रहना।।
जमें महफिलें नित ही दर पर,
बजे शहनाई तन की वीणा पर,
झूम झूम के नाचे राधा,
सुन के बोल तेरी वंशी पर,
महफ़िल में तुम आओ न आओ,
मन वीणा में समाये रहना।।
अक्षर अक्षर जोडूं पल पल,
दिल करता गाऊं मैं हर पल,
प्रीत डोर बना बना के,
कविता रूप संबारूं हर पल,
निकलें शब्द भले न मुख से,
तन वीणा में स्वर भरते रहना।।
छाई बदरिया आसमान में,
टप टप बरसे घर आंगन में,
कब बरसोगे बन के बदरा,
हर पल आस रहे यह मन में,
उमड़ घुमड़ कर बरसो न बरसो,
रिमझिम फुहार बरसाते रहना।।
चले गये तुम वादा करके,
कब देखूंगी मैं जी भर के,
आओगे तुम विश्वास करें हम,
तेरी सूरत देखूं जीभर के,
जीवन भर तुम दूर रहो पर,
अंत समय विदा कर देना।।

परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.की डिग्री हासिल की आपकी बचपन से साहित्य मे रुचि रही व बाल्यावस्था में ही कलम चलने लगी थी। प्रतिष्ठा फिल्म्स एन्ड मीडिया ने “मेरी स्मृतियां” नामक आपकी एक पुस्तक प्रकाशित की है। आप वर्तमान में लखनऊ में निवास करती है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *