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बात की बात पर चतुष्पदियाँ

रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.

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भाव के ज्वार में नहीं बहना।
क्रोध की आग में नहीं दहना।
बात कहना हो जब कहीं कोई,
देर तक आप सोचते रहना।

ग़ुस्से में हो नदी तो किनारों से बात कर।
ग़ायब हो चांदनी तो सितारों से बात कर।
पाबंदियों के ज़ुल्म से चुप हो अगर ज़ुबाँ,
आंखों से,उंगलियों से,इशारों से बात कर।

कठिनाई का हल आवश्यक होता है।
आग लगे तो जल आवश्यक होता है।
केवल बातों से ही बात नहीं बनती,
सीमाओं पर बल आवश्यक होता है।

परिपक्वता विचार में आए तो कुछ कहूँ।
उपयुक्त शब्द भावना पाए तो कुछ कहूँ।
संक्षिप्त सारग्राही सरल शुभ कथनसमूह,
अधरों को अपना मित्र बनाए तो कुछ कहूँ।

सभी की बात सुनी जाए आज।
तर्क की रूई धुनी जाए आज।
अब समस्या नहीं रही बच्ची,
चदरिया हल की बुनी जाए आज।

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साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।


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