Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

विरह वेदना

विवेक रंजन ‘विवेक’
रीवा (म.प्र.)

********************

(राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता विरह वेदना में प्रथम विजेता रही कविता)

गाल हथेली पर रख के मैं तनहा सी बैठी रहती,
उस पर भी खामोशी जाने क्यों मुझसे रूठी रहती।
याद तुम्हारी तो तन मन में कस्तूरी सी बसती है,
तुम तो होते पास नहीं हर रात विरह की डसती है।

धीर रखती हूँ बहुत पर नीर पलकों से छलकते,
दर्द कातर हो उजागर कांपने लगते फलक से।
जब मिलन के गीत कोई झुरमुटों के पार गाता,
पीर के अतिरेक में फिर आह निकलती हलक से।

अब नहीं अभ्यर्थना में मेघ बनकर दूत आते,
गर्जना घनघोर करते और रह रह कर डराते।
चांद की भी क्या कहूं ऐसे तिल तिल कर जलाये,
ज्यों सुहानी रात हो फिर भी कुमुदिनी खिल न पाये।

अब किसी टहनी के दिल से फूल मैं ना तोड़ सकती,
वेदना क्या है विरह की अब बिछुड़ कर मैं समझती।
अपने साजन के बिना सचमुच मुझे कुछ भी न भाता
बस पवन का एक झोंका जख्म पर मरहम लगाता।

सब सखी सजकर खड़ी, अभिसार तत्पर ज्यों रति
निर्जल मीन तड़पते रहना, रहे सदा क्यों मेरी नियति ?
प्रियतम ! अब ये मेरा है प्रण, विरह वेदना का हो तर्पण,
मिलन का आवाहन करता, इस वनिता का सकल समर्पण।

परिचय : विवेक रंजन “विवेक”
जन्म –१६ मई १९६३ जबलपुर
शिक्षा- एम.एस-सी.रसायन शास्त्र
लेखन – १९७९ से अनवरत…. दैनिक समय तथा दैनिक जागरण में रचनायें प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में इनका पहला उपन्यास “गुलमोहर की छाँव” प्रकाशित हुआ है।
सम्प्रति – सीमेंट क्वालिटी कंट्रोल कनसलटेंट के रूप में विभिन्न सीमेंट संस्थानों से समबद्ध हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *