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प्रीत का रोग

जसवंत लाल खटीक
देवगढ़ (राजस्थान)

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(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित कविता)

प्रीत का रोग लगा मुझे, नींदे उडी रात की।
तुम अलबेली शाम हो, मेरे प्यारे गाँव की।।

प्रेमरस में खो जाता, इंतजार में कटे रतिया।
हे खुदा उससे मिला, बरसती है ये अंखिया।।

चाँद देख उसे याद करू, तारों की मैं सैर करु।
तेरे प्यार में पागल हूँ, सपनो में तेरी मांग भरु।।

तेरी एक झलक पाने, दिन भर मैं राहे तकता।
पागल प्रेमी आवारा मैं, खाना पीना भी तजता।।

तुझसे मैं आँखे मिलाता, शर्म से नैन झुक जाते।
कोमल हाथो के स्पर्श से,रोम-रोम मेरा महकाते।।

तेरे ख़ातिर जीवित हूँ मैं, तेरे ही सपने बुनता।
चलता अगर मेरा राज, हमसफ़र तुझे चुनता।।

सुनो तुम मेरी बन जाओ, परी बना कर रखूंगा।
जीवन के इस सफर में, पलकों पे बैठा के रखूंगा।।

बारिश का मौसम सुहाना, आ गयी बरसात भी।
तुम आ जाओ ना सजनी, देर है किस बात की।।

“जसवंत” का जीवन अधूरा, आस तेरे साथ की।
तुम अलबेली शाम हो, मेरे प्यारे गाँव की।।

परिचय :- कवि जसवंत लाल खटीक
निवासी :- रतना का गुड़ा, देवगढ़
जन्म स्थान :- रतना का गुड़ा, देवगढ़, (राजस्थान)
शिक्षा :- बीटेक (कम्प्यूटर साइंस), बी.ए.
संप्रत्ति :- कवि, समाजसेवी, संस्थापक मिशन नीवं सेवा संस्थान रतना का गुड़ा
प्रकाशित पुस्तकें :- ५ सांझा संग्रह व राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन।
सम्मान/पुरस्कार :- समाजसेवा, साहित्य और शिक्षा में दो दर्जन से अधिक सम्मानों सहित राज्य व राष्ट्रीय अवार्ड और एक बार “अंतरराष्ट्रीय इंडियन बेस्टीज अवार्ड २०१९” से सम्मानित गरीब विधार्थियों के लिए १० लाख से अधिक का सहयोग करने पर “आई एम समाजसेवी २०१९” अवार्ड से सम्मानित सहित २ दर्जनों अवार्डों से सम्मानित …


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