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प्रीत साजन की

विमल राव
भोपाल मध्य प्रदेश
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साजन तुम संग प्रीत लगाई
मन हीं मन शरमाई मैं।
तुम से कुछ दिन दूर रहीं पर
तुमकों भूल ना पाई मैं॥

एक एक लम्हा तुमको चाहा
एक पल भी ना भूल सकी।
जब जब तुमको याद किया तब
मन हीं मन मुसकाई मैं॥

सांझ सवेरे इंद्र धनुष सा
रंग दिखाई देता हैं।
तुम से रोज़ मिलन हों ऐसा
स्वप्न दिखाई देता हैं॥

मैं एक कुसुम कली बगिया की
तुम भंवर दिखाई देते हों।
सच कहती हूँ साजन जी मैं
तुम इस दिल में रहते हों॥

पहले मुझमे ना समझी थी
अब मैं तुमको समझ रहीं हूँ।
जेसा तुम मुझमें चाहते हों
वैसा ख़ुद कों बदल रहीं हूँ॥

थोड़ी सी कड़वी हूँ सचमें
पर मिश्री सी महक रहीं हूँ।
प्रिये तुम्हारे घर आँगन में
मैं चिड़िया सी चहक रहीं हूँ॥

प्यार तुम्हारा पाकर सचमुच
खुदको परी समझती हूँ।
सच कहती हूँ प्रिये कसम से
मैं बस तुम पर मरती हूँ॥

तुम बस मुझकों देखो अकसर
मैं दिन रात संवरती हूँ।
तुम आजीवन हर्षित हों
मैं नित्य प्रार्थना करती हूँ॥

सीख रहीं हूँ तुम से अकसर
घर संसार की बातों कों।
रोज़ सजाती हूँ मैं सुंदर
प्रिये तुम्हारी रातों कों॥

बै रंगी इस जीवन कों
तुमने रंगो से भर डाला।
मैने भी अपना यह जीवन
नाम तुम्हारे कर डाला॥

खुशी मिले या नही मिले
पर सांथ तुम्हारा बना रहें।
हर पल तुम आँखो में बसना
एहसास तुम्हारा बना रहें॥

तुम जीवन की आस बनें हों
मुझ प्यासी की प्यास बनें हों।
अब तक मैं बस मौन रहीं थी
तुम मेरी आवाज़ बनें हों॥

जीवन का हर लम्हा मुझको
सांथ तुम्हारे जीना हैं।
तुम हों मेंरे “श्याम” मुझे विष
“मीरा” जैसे पीना हैं॥

मैं ना जानू प्रीत निभाना
मैं ना जानू मन कों भाना।
तुम हों मेरी जीवन रेखा
सांथी मुझसे रूठ ना जाना॥

बनी तुम्हारी “दुल्हन” जब से
मैंने इतना देखा हैं।
अंधकार मय इस जीवन की
तू भाग्य बदलती रेखा हैं॥

तुम अपनी प्रियतम पर प्रीतम
बस इतना उपकार करों।
वो भी तुमसे प्यार करेगी
तुम भी उससे प्यार करों॥

परिचय :- विमल राव “भोपाल”
पिता – श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया।
निवास – भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र)
विशेष : कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव – अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र,
रचनाएँ : हम हिन्दुस्तानी, नई दुनिया, पत्रिका, नवभारत देवभूमि, दिन प्रतिदिन, विजय दर्पण टाईम, मयूर सम्वाद, दैनिक सत्ता सुधार में आए दिन लेख एवं रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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