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प्रीत की पाती

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)
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कैसे लिखूँ मैं प्रीत की पाती
याद करूँ तुझको दिन राती
किसी और को ना कह पाती,
विरह वेदना सही न जाती।

जबसे गए हो तुम जहान से,
पलभर को भी भूल न पाती।
संग तुम्हारे ना आ पाती,
लिख रही हूँ तुमको पाती।

प्रभु चरणों मे तुम हो बैठे,
कह दो उनसे सारी बाती।
रुग्ण हुई यह मानव जाति,
पीड़ा के ही गीत है गाती।

प्रियतम मेरे यह भी कहना,
अपने हाथों जग को गहना।
सोचके अब मैं हूँ घबराती,
कैसे पहुँचे तुझ तक पाती।

पढ़कर तेरी आँख भर आती,
पहुँच जो जाती मेरी पाती.
मन से मन की बात हो जाती,
अब पहुंची मेरी प्रीत की पाति।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड, बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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