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अनमोल तोहफा

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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५ सितंबर यानि शिक्षक दिवस आज पूरा दिन स्कूल में बच्चों की शुभकामनाएं और ढेर सारी टाफीया उपहार गुल्दस्ते ग्रिटींग कार्ड। इसके अलावा शाला प्रबंधन की ओर से विषेश कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें उत्कृष्ट शिक्षा नवाचार के लिए सुषमा को विषेश पुरस्कार प्रदान किया गया। सुषमा जब घर लौटी तो उसके बैग बच्चों द्वारा दिये गये उपहार से भरे हुए थे और हाथ में
शाला प्रबंधन की ओर से दिया गया स्मृति चिन्ह ।घर पहुँच कर सुषमा पूरी तरह थक कर चूर हो
चुकी थी। पीछे से आवाज आई मैडम जी…मैडम जी… सुषमा निन्नी को देख कर अतीत में खो गयी। उसके लिए ये जगह नयी थी अभी अभी उसने शिक्षाकर्मी वर्ग एक के लिए पोस्टिंग कोंडागाँव में हुआ था । घर के सामने सड़क के उस पार झोंपड़ी नजर
आती थी। स्कूल जाते समय रास्ते में निन्नी दिख जाया करती थी उसकी उम्र कोई आठ नौ साल होगी अपने छोटे भाई को गोद में उठा कर यहाँ वहाँ घूमती रहती थी। देख कर लगता था कि मुह अन्धेरे ही उसके माँ बाप मजदूरी करने निकल जाते हैं। सुषमा को निन्नी मे एक परिपक्व गृहणी नजर आती थी। इस उम्र में भी इतनी समझदारी देखते ही बनती है। कभी-कभी ही निन्नी खेल पाती
थी। एक दिन सुषमा ने पूछ लिया बताओ क्या नाम है पढ़ने जाती हो। नाम निन्नी है बोलकर चली गयी धीरे-धीरे उसका सुषमा के घर के आसपास ज्यादा समय बीतने लगा सुषमा उसे कभी ब्रेड तो कभी बिस्किट दे दिया करती थी। खाली समय में सुषमा उसे पढ़ाया करती थी। आज करीब एक साल होने को आए निन्नी बहुत कुछ पढ़ लिख लेती है यह सब देख कर सुषमा को अपने शिक्षक होने पर गर्व
होने लगा था कि वह किसी जरुरत मंद को अक्षर ज्ञान करा रही है। तभी पीछे से आवाज आई मैडम जी… क्या हुआ निन्नी सुषमा के बैग की ओर इशारा करती हई पूछ रही थी कि मैडम जी ये सब क्या है? कहाँ से लाई हो इत्ता सारा सामान? कोन ने दिया ये सब आपको मैडम जी? सुषमा ने कहा अरे अरे सुनोगी या फिर अपनी ही बोलोगी। ये सारा सामान हमे आज स्कूल से मिला है आज शिक्षक दिवस है न आज के दिन बच्चे अपने शिक्षक (जो हमे पढाते है) को सम्मान के लिये ये सब देते हैं। इतना सुनते ही निन्नी बहुत तेजी से भागते हुये चली गयी। सुषमा आवाज देती रही अरे निन्नी ये कुछ टाफी तो लेती जा निन्नी बगैर सुने ही वहाँ से चली गई। सुषमा ये पगली लड़की नही सुधरेगी बोलते हुए चाय बनाने चली गयी। थोड़े ही देर में निन्नी की आवाज आई मैडम जी… ये आपके लिये उसके हाथ में
तीन चार गेंदे का फूल लाई थी। ये क्या निन्नी ये किसलिए निन्नी ने कहा मैडम जी आप हमे भी तो पढाते हो। और शरमा कर भाग गयी। उसकी मासूमियत और उसका निश्छल भाव ने सुषमा का दिल जीत लिया। आज सुषमा को स्कूल से मिले वो सारे उपहार निन्नी के इस प्रेम के सामने तुच्छ लग रहे थे कयोंकि आज उसे अनमोल तोहफा जो मिल गया था निन्नी से।

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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