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जहरीली हवा

विनोद सिंह गुर्जर
महू (इंदौर)
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जहरीली हवा बह रही।
हमसे यूं कह रही।।
जीना है तुम्हें गर।
अपनों के साथ घर।।
खुद को नजर बंद कर दो।
ताले में बंद कर लो।…

घूमने का ख्याल छोड़ो।
व्यर्थ के सवाल छोड़ो।।
जिंदगी रहे सलामत,
होटलों की दाल छोड़ो।।
मेहफिल ना जाने का,
इरादा बुलंद कर लो।।…

खुद को नजर बंद कर दो।
ताले में बंद कर लो।…

मौत का पैगाम लेके।
आये है तूफान ऐसे।
लड़ने तैयार हैं हम,
हार जायें मान कैसे।।
निश्चय खदेड़ देंगे,
ऐलान-ए-जंग कर दो।।…

खुद को नजर बंद कर दो।
ताले में बंद कर लो।…

मुश्किल है आन पड़ी।
आफत में जान पड़ी।
महामारी फैल रही,
आई विकराल घड़ी।।
निराशा के आंगन में ,
उत्साह, उमंग भर दो।।…

खुद को नजर बंद कर दो।
ताले में बंद कर लो।…

परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है।
सम्मान – हिन्दी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा काव्य श्री २०१९ एवं हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान


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